Friday, February 08, 2008

रश्मि !!


अंधेरों में
कुछ इस तरह
घिर गया हूँ
मैं
कि
उजालों को
तरस गया हूँ
मैं
मायूसियों और नाकामियों के
इस अन्धकार में
सिर्फ है एक
रश्मि
जो
प्रशस्त कर रही
मेरा पथ
शायद
पहुँच सकूँ
इस उजाले में
उसके सहारे
किसी मंज़िल तक
नामुमकिन को
मुमकिन करके
शायद

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