
खोता जा रहा हूँ
पहचान अपनी
मैं
अपने ही शहर में
कि
अजनबी बन गया हूँ
मैं
अपने ही घर में
इसलिए
छोड़ रहा हूँ
मैं
ये शहर
जा रहा हूँ
ज़िन्दगी से
कुछ हासिल करने
इस उम्मीद में
कि शायद
मिल सके
ज़िन्दगी
किसी मोड़ पर
कि मिल सके
मेरी पहचान
जब लोग जानेंगे
मुझे
मेरे नाम से
जब
नहीं रहूँगा
मैं
भीड़ में एक अजनबी
उसका एक हिस्सा
तब आऊँगा
मैं
लौट कर
इस शहर में
अपने घर में
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