Friday, February 08, 2008

तिनका !!


एक तिनका
पड़ा है धारा में
बहता चला जा रहा है
बहाव के साथ
अनजाने सफ़र पर
जहाँ नज़र आती हैं
नाख्त्म राहें
पर
नज़र नहीं आती
कोई भी मंजिल
तिनके को चाहिए
कोई सहारा
जो नहीं मिलता
मिलता भी है
तो
सिर्फ दो क्षण के लिए
फिर वह भी
टूट जाता है
धारा में
और
बह जाता है
बहाव के साथ
तिनके का सफ़र
शायद ख़त्म होगा
उसके अस्तित्व के साथ
जो
समाप्त होगा
इसी धारा में
शायद यही
तिनके का परिचय है
और
यही उसकी
नियति

No comments: